Haryanvi Folk Art: हरियाणवी लोक कला और संस्कृति को समेटे हुए है दादा लखमी पर बनी फिल्मः मनोहर लाल

Haryanvi Folk Art: हरियाणवी लोक कला और संस्कृति को समेटे हुए है दादा लखमी पर बनी फिल्मः मनोहर लाल

Haryanvi Folk Art

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मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने करनाल में स्पेशल स्क्रीनिंग में देखी दादा लखमी पर आधारित फिल्म

मुख्यमंत्री ने फिल्म की पूरी टीम को दी शुभकामनाएं, कहा- इतने चैलेंजिग विषय पर फिल्म बनाना बेहद सराहनीय

चंडीगढ़, 6 नवंबर – Haryanvi Folk Art: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने रविवार को करनाल में हरियाणवी लोक गायक दादा लखमी(Dada Lakhmi) पर बनी फिल्म “दादा लखमी” को स्पेशल स्क्रीनिंग(special screening) में देखा। इसके बाद उन्होंने फिल्म की पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह फिल्म हरियाणवी लोक कला व संस्कृति को अपने में समेटे हुए है। फिल्म के निर्माता और निर्देशक ने इतने चैलेंजिंग विषय पर फिल्म बनाई, यह अपने आप में बेहद सराहनीय कदम है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की फिल्मों पर निरंतर काम होना चाहिए, हालांकि बॉलीवुड में भी हरियाणवी बोली में फिल्में बन रही हैं लेकिन जब फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हरियाणा के लोग इस तरह के विषयों पर फिल्म बनाते हैं तो ज्यादा उत्साहवर्धन होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के बहुत से कलाकार बॉलीवुड में काम कर रहे हैं, उन्हें भी हरियाणवी संस्कृति व लोक कला को आगे बढ़ाने के लिए फिल्मों पर काम करना चाहिए।   

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है दादा लखमी पर बनी फिल्म

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि यह हरियाणा व पूरे प्रदेशवासियो के लिए हर्ष व गर्व का विषय है कि दादा लखमी फिल्म को माननीय राष्ट्रपति द्वारा "राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार" से सर्वोत्तम हरियाणवी फिल्म के रूप में पुरस्कृत किया गया है। इसके अतिरिक्त 63 से ज्यादा अंतराष्ट्रीय भी पुरस्कार मिल चुके है। ये हरयाणा की एक मात्रा फिल्म है जो आज तक के इतिहास में कांस फेस्टिवल में 2021 में ऑनलाइन प्रदर्शित की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फिल्म लगभग 300 लोगों की 6 साल की कड़ी मेहनत का परिणाम है। 

हरियाणा और हरियाणवी की शान थे पंडित लखमी

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि पंड़ित लखमी चंद हरियाणा और हरियाणवी की शान थे। सोनीपत जिले के गांव जाटी में उनका जन्म हुआ। छोटी उम्र में ही वह इतने प्रसिद्ध हो गए थे कि लोग 50-50 मील से बैलगाड़ी पर उनकी रागिनी सुनने और सांग देखने के लिए आया करते थे। उन्हें हरियाणा का शेक्सपियर कहा जा सकता है। उनके द्वारा रचित रचनाओं को आज भी नए दौर के गायक नए-नए रूप में प्रस्तुत करते हैं। हरियाणा और हरियाणवी बोली के लिए दादा लखमी का योगदान अतुल्य है।